कल्याणी
” कल्याणी ”
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तू आदि शक्ति !
विधाता की
और बहिन बनी ,
तुम भ्राता की |
साध्य बनती !
तू साधक की
और ध्येय बनी
तू ध्याता की ||
माता बनकर
सृजन करती
और प्रीत संजोती
तू राधा बन |
बेटी बन
तू स्नेहा बनती
और पत्नी बन
तू ब्याहता ||
हे नारी !
तू सृष्टि सारी !
निर्माण करे
तू जग सारा |
“दीप” के जैसी
जगमग करती !
और कहलाती
तू ! कल्याणी ||
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डॉ०प्रदीप कुमार “दीप”
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