कल्पित भगवान
द्वापर युग में जब बढ़ा
पाप और अत्याचार।
राजाओं में व्याप्त हुआ
घमंड़ और भोग विलास।
न्याय मर्यादा ओझल हुई
धन बल का ही साम्राज्य।
मैला आंचल संस्कृति का
नारी शक्ति थी लाचार।
ऊँच नीच की भावना से
भर गया था सब संसार।
धर्म मार्ग की शिक्षा देने
तब लिया विष्णु अवतार।
कृष्ण रूप मथुरा में जन्में
स्थान चुना था कारागार।
कृष्ण लीला का भजन कर
नर नारी पाते जग उद्धार।
प्रभु लीला अद्भुत विचित्र की
जाना वही जो जाननहार।
कालियाँ मर्दन खेल खेल में,
गोवर्धन को अंगुली धार।
द्वारका पुरी निवास बनाया
कहलाये प्रभु द्वारकाधीश ।
महाभारत को बना माध्यम
किया घमंड़ियों का सत्यानाश।
मैला आंचल धो डाला
उज्जवल किया भू आवास।
अर्जुन के बन रथ सारथी
दिया गीता का उपदेश।
युगों युगों के लिए सुनाया
मानव धर्म का शुभ संदेश।
जगत गुरू श्रीकृष्ण प्रभु को
जो सहज गया पहचान।
उसका जीवन धन्य धन्य
आदर्श रूप राधे व श्याम।
जिनके मन में कपट भरा
उनको कल्पित लगते भगवान।
भ्रमित बुद्धि होती हैं उनकी
जीवन मैला भरा अज्ञान।