कल्पना रहित कवि
कल्पना रहित कवि लगें ज्यों नख रद बिन शेर,
भाव हीन कविता लगे शब्दों का एक ढेर।
शब्दों का एक ढेर मान नहि वे कवि पाते,
बिना कंठ सुर ताल मंच पर जो हैं जाते।
हो जाते वे हूट नहीं उत्कृष्ट सर्जना,
होता उनका सृजन भाव बिन बिना कल्पना।
जयन्ती प्रसाद शर्मा