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14 Jul 2018 · 1 min read

कल्पना से अधिक

कल्पना से अधिक
मन में आस्था लिये
प्रेमपूर्ण हृदय के साथ
हमने दीप जलाया
एक विश्वास के साथ
कि अंधकार दूर होगा
पर हमारी कल्पना से अधिक अं
धकार फैला है चारों तरफ
सडकें सूनी और अपरिचित सी हैं
उन पर खून के धब्बे भी हैं
सब एक दूसरे से बचकर
निकल जाना चाहते हैं
प्रकृति का संतुलन बिगड चुका है
हमारी कल्पना से अधिक
जहर फिज़ा में घुल चुका है
हर इंसान का चेहरा दागदार है
विवशतायें चरम पर हैं
कई जीवन की समस्याओं का हल
मृत्यु में खोज रहे हैं
शिक्षा व्यवसाय
औरत विज्ञापन हो गई है
आदमी रावण में
औरत आदमी में तब्दील हो रही है
गंगा मैली
और मदिरा महत्वपूर्ण हो गई है
अंग्रेज़ी बोलना और कम कपडे पहनना
सभ्यता की निशानी है
यह कल्पना से अधिक
विचित्र दौर है
भयावह!

Language: Hindi
227 Views
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