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30 Jun 2020 · 1 min read

कल्पनाओं का रूप

मैं जब अपनी
इच्छाओं – कल्पनाओं को
साकार करती हूँ
तब उन्हें
मिट्टी में सान कर
चक्के पर डाल कर
अलग – अलग रूपों में
आकार देती हूँ ,
मेरा हर पात्र भिन्न होता है
मेरी कल्पनाओं सा रंगीन होता है
इनको देखकर सहलाकर
ये महसूस होता है
क्या मेरी कल्पनाओं का
इतना सुंदर रुप होता है ।

स्वरचित एवं मौलिक
( ममता सिंह देवा , 19/10/91 )

Language: Hindi
2 Comments · 167 Views
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