*”कल्पतरु “*
देवलोक से वृक्ष आया ,
कल्पतरु देते हैं छाया ,
मन की इच्छा पूरी करता,
समुद्र मंथन से यह पाया।
जय श्री कृष्णा
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देवलोक से वृक्ष आया ,
कल्पतरु देते हैं छाया ,
मन की इच्छा पूरी करता,
समुद्र मंथन से यह पाया।
जय श्री कृष्णा
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