“कली हू कुछ समय बाद खिल जाउगी”
कली हू ,कुछ समय बाद खिल जाउगी।
सब की जरूरत की खातिर एक पल में बिखर जाउगी।
उम्मीद सभी रखते हैं मुझसे,और करते तिरस्कार।
पूरी होने पर जरूरत मुझको कहते बेकार।
नारी हू में अपनी पर गर आउगी,
तो सब की कब्र खुदवाउगी।
कली हू कुछ समय बाद खिल जाउगी।
कमजोर समझ मुझको, सभी दबाते हैं।
इज्जत के नाम पे ,चार दिवारी में चुनवाते है।
आखिर कैसे अपने सपने में सजाउगी।
कली हू कुछ समय बाद खिल जाउगी।
एक तरफ देवी सा सम्मान करते।
दुजी और इज्जत को तार तार करते।
दुनिया में फैला जहर, कैसे में मिटाउगी ।
कली हू कुछ समय बाद खिल जाउगी।
सब्र,दया, सहनशीलता,प्रेम, ममता,शर्म,सब मेरे गहने है।
सब की खुशी के खातिर हर रिश्ते में पहने है।
उतार दिया गर में काली बन जाउगी।
कली हू कुछ समय बाद खिल जाउगी
सब की जरूरत की खातिर एक पल में बिखर जाउगी।
कली हू कुछ समय बाद खिल जाउगी।