कलियों को खिलने दो
क्यों करते हो ऐसा तुम
वो दुश्मन नहीं है तुम्हारी
उसके जैसी ही लगती है
घर में मां बहन तुम्हारी।।
पीछा करते हो उसका तुम
और छेड़ते भी हो तुम उसे
क्या गुज़रती है उसपर तब
कैसे बताए ये सब वो किसे।।
स्कूल जाना कोई जुर्म नहीं
कॉलेज जाना भी नहीं जुर्म
डरते नहीं इस बात से की तुम्हारे
अपनों के साथ गर हो ऐसा जुर्म।।
वो मनोरंजन का साधन नहीं
जो यूं घूरें उसे तेरी गंदी नज़रें
ऐसे कुकृत्य कर कैसे घर में
मिला पाते हो तुम मां से नजरें।।
फिर कोई गुड़िया और कोई
लड़की निर्भया कहलाती है
तुम्हारी निर्दयता का शिकार हो
कर कहीं गुम हो जाती है।।
न्याय नहीं मिलता उन्हें कभी
जो लाशें जंगलों में है मिलती
चंद रोज़ न्यूज चैनलों की
बस टीआरपी ही है बढ़ती।।
सहम जाती है सब बेटियां
जब होती है ऐसी घटनाएं
हमारे समाज पर धब्बा है
जब भी होती है ये घटनाएं।।
नहीं चाहती वो तुझसे की
तुम उसके लिए करो कुछ
वो तो अपनी मेहनत से ही
पाना चाहती है सबकुछ।।
मत बनो वहशी दरिंदे तुम
अब तो सुधर जाओ तुम
बहन बेटियों का सम्मान करो
उनका रास्ता न रोको तुम।।