कलियुग-दंश
हे श्याम तुम्हारे राज्य में,
कंस ऐंठते मूंछ।
सुनें सिंहश्री गीदड़-भभकी,
रहें दबाए पूंछ।
सज्जन दुर्जन के घर जाके,
रोज़ दबाएँ पैर।
कूकुर साहब को साहब श्री,
भोर कराएँ सैर।
हे श्याम तुम्हारे राज्य में,
कंस ऐंठते मूंछ।
सुनें सिंहश्री गीदड़-भभकी,
रहें दबाए पूंछ।
सज्जन दुर्जन के घर जाके,
रोज़ दबाएँ पैर।
कूकुर साहब को साहब श्री,
भोर कराएँ सैर।