कलाम को सलाम
सच्चे मुसलमान,
पक्का ईमान।
एक जैसी श्रद्धा थी,
गीता या कुरान ।
जेहन में सराफत,
किसी से न नफरत।
सीधा साधा बाना,
सूफियों सी फितरत।
कोमल मिजाज थे,
इरादे एजाज थे।
अग्नि के सृजनहार,
देश के सरताज थे।
सब पर ऐतबार था,
बच्चों से प्यार था।
अध्यापन का शौक रखते,
बातों में गहरा सार था।
ये कोई और नहीं
अब्दुल कलाम है।
भारत रत्न ,भूषण को,
दिल से सलाम है।
सतीश सृजन, लखनऊ.