कलानिधि
कलानिधि
शरदपूर्णिमा के कलानिधि सा,
मन है मेरा ,
आसमान को छूना हैं ।
इंद्रधनुष की किरणो सा ,
जीवन में रंग भरना हैं ।।
मंजिल कितनी कठीन आने दो,
उसको पाना मेरा सपना हैं ।
ऋतुओ आनंद का उत्सव मनाना हैं ।
प्रकृति आनंद का रास खेलना हैं ।।
जीवन में कुछ कठीन नहीं हैं ,
अब ठान लिया तो करना है ।
चुम उन्नति के उच्च शिखर को,
जहाँ में एक नई मिसाल बनना हैं ।।
– राजू गजभिये