कलाकार
तुम्हारा संगीत सुना
मेरी आंखें बह निकली
मन धुल गया
सारे ज्वार थम गए
कितनी विस्तृत है
तुम्हारी आत्मा
जो छू जाती है
सब परचित अपरचितों को
तुम कलाकार हो
मनुष्यता का परिष्कृत रूप
तुम्हें प्रणाम !
शशि महाजन- लेखिका
तुम्हारा संगीत सुना
मेरी आंखें बह निकली
मन धुल गया
सारे ज्वार थम गए
कितनी विस्तृत है
तुम्हारी आत्मा
जो छू जाती है
सब परचित अपरचितों को
तुम कलाकार हो
मनुष्यता का परिष्कृत रूप
तुम्हें प्रणाम !
शशि महाजन- लेखिका