कलरव पर प्रतिबन्ध
आवाजों की हाट में, खामोशी है मौन ।
सुनते मुंह की बात सब , दर्दे दिल को कौन।।
दर्दे दिल को कौन, नहीं दिखती मानवता।
झूठ,कपट, छल,द्वेष ,शोक, पसरी दानवता ।
कह पाण्डे कविराय, भीड़ है चिर बाजों की ।
कलरव पर प्रतिबन्ध, हाट में आवाजों की ।।
सतीश पाण्डेय