Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
6 Nov 2024 · 1 min read

कलयुग के बाजार में

कलयुग के बाजार में, क्या नहीं बिक रहा है।
पाने को दौलत और नाम, क्या क्या हो रहा है।।
कलयुग के बाजार में————————-।।

बाप बड़ा न भैया है, सबसे बड़ा रुपया है।
रुपयों के लोभ ने, रिश्तों का खून किया है।।
पाने को धन और शौहरत, इंसान बिक रहा है।
पाने को सुख और शान, क्या क्या हो रहा है।।
कलयुग के बाजार में————————।।

भ्रष्टाचार ही शिष्टाचार अब, बन गया है इंसान का।
बिना कमीशन- रिश्वत के, नहीं होता काम इंसान का।।
सभी सरकारी विभागों में, ईमान बिक रहा है।
पाने को पद और पैसा, क्या क्या हो रहा है।।
कलयुग के बाजार में————————-।।

दया- धर्म और संस्कार, मतलबी बन गए हैं।
इस वतन के आज बहुत, सौदागर बन गए हैं।।
मतदाता भी अपना वोट, और धर्म बेच रहा है।
पाने को रोटी और घर, क्या क्या हो रहा है।।
कलयुग के बाजार में————————।।

सत्यमेव जयते अब, नहीं है कानून- शासन में।
सत्ता के गुलाम बन गए, कलमकार अब शासन में।।
न्याय- मीडिया- साहित्य, और सत्य बिक रहा है।
पाने को सम्मान- सुविधा, क्या क्या हो रहा है।।
कलयुग के बाजार में————————–।।

शिक्षक एवं साहित्यकार
गुरुदीन वर्मा उर्फ़ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)

Language: Hindi
Tag: गीत
61 Views

You may also like these posts

नट का खेल
नट का खेल
C S Santoshi
"जिंदगी"
नेताम आर सी
बेवफाई से मिली तन्हाई
बेवफाई से मिली तन्हाई
Krishna Manshi
करें स्वागत सभी का हम जो जुड़कर बन गए अपने
करें स्वागत सभी का हम जो जुड़कर बन गए अपने
DrLakshman Jha Parimal
सुहानी बरसात को तरसोगे
सुहानी बरसात को तरसोगे
अरशद रसूल बदायूंनी
Ghazal
Ghazal
shahab uddin shah kannauji
इस साल बहुत लोगों के रंग उतरते देखें,
इस साल बहुत लोगों के रंग उतरते देखें,
jogendar Singh
#मौसमी_मुक्तक-
#मौसमी_मुक्तक-
*प्रणय*
माना इंसान अज्ञानता में ग़लती करता है,
माना इंसान अज्ञानता में ग़लती करता है,
Ajit Kumar "Karn"
ललकार ने ललकार मारकर,
ललकार ने ललकार मारकर,
श्याम सांवरा
आबाद मुझको तुम आज देखकर
आबाद मुझको तुम आज देखकर
gurudeenverma198
उसके बदन को गुलाबों का शजर कह दिया,
उसके बदन को गुलाबों का शजर कह दिया,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
"चलना और रुकना"
Dr. Kishan tandon kranti
हाइब्रिड बच्चा (मुक्तक)
हाइब्रिड बच्चा (मुक्तक)
पंकज कुमार कर्ण
लोकशैली में तेवरी
लोकशैली में तेवरी
कवि रमेशराज
ग़ज़ल _ सरकार आ गए हैं , सरकार आ गए हैं ,
ग़ज़ल _ सरकार आ गए हैं , सरकार आ गए हैं ,
Neelofar Khan
बड़े बुजुर्गों ,माता पिता का सम्मान ,
बड़े बुजुर्गों ,माता पिता का सम्मान ,
ओनिका सेतिया 'अनु '
आइए सीखें व्यंजन वर्ण
आइए सीखें व्यंजन वर्ण
Jyoti Pathak
*हल्दी अब तो ले रही, जयमाला से होड़ (कुंडलिया)*
*हल्दी अब तो ले रही, जयमाला से होड़ (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
कल्पना के पृष्ठ नूतन पढ़ रही हूँ।
कल्पना के पृष्ठ नूतन पढ़ रही हूँ।
Pratibha Pandey
गीत - इस विरह की वेदना का
गीत - इस विरह की वेदना का
Sukeshini Budhawne
हम सबके पास शाम को घर लौटने का ऑप्शन रहना ज़रूरी है...हम लाइ
हम सबके पास शाम को घर लौटने का ऑप्शन रहना ज़रूरी है...हम लाइ
पूर्वार्थ
वक्त की नज़ाकत और सामने वाले की शराफ़त,
वक्त की नज़ाकत और सामने वाले की शराफ़त,
ओसमणी साहू 'ओश'
'भारत के लाल'
'भारत के लाल'
Godambari Negi
My love at first sight !!
My love at first sight !!
Rachana
, आंखों आंखों में
, आंखों आंखों में
Surinder blackpen
विचार
विचार
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
आध्यात्मिक और सांसारिक जीवन में संतुलन कैसे बनाएं, और कुछ मिथक बातें। ~ रविकेश झा
आध्यात्मिक और सांसारिक जीवन में संतुलन कैसे बनाएं, और कुछ मिथक बातें। ~ रविकेश झा
Ravikesh Jha
इतनी जल्दी क्यूं जाते हो,बैठो तो
इतनी जल्दी क्यूं जाते हो,बैठो तो
Shweta Soni
3107.*पूर्णिका*
3107.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
Loading...