कलयुग केवल नाम
।। दोहा ।।
राम राम जपते चलो, राम है मुक्तिधाम ।
मत कर तू चिंता सदा, कलयुग केवल नाम ।।
।। हरिगीतिका ।।
सीता हरण कर ले गया, लंकेश दानव यान से ।
तब वार कर के नाभि पर वध कर दिया था बाण से ।।
जप राम भज मन ताप मन का नष्ट हो इस जाप से ।
औ’ मुक्त कर पाषाण को गौतम ऋषि के शाप से ।।
माँ के वचन को पूर्ण करने हरि चले वनवास को ।
संसार सुख का त्याग कर वन चल पड़े अभ्यास को ।।
सब शोक अपना भूलकर, रघुवर विराजे नाव पर ।
अपराधियों को दंड देने लक्ष्य साधा दाव पर ।।
शुभ दिन दशहरा पर्व पर कर शस्त्र पूजा पाठ जप ।
तब सिद्ध हो सब कामना जब हम करें भव त्याग तप ।।
हे राम! कहते जा सदा तो बल मिलेगा श्वास को ।
देना सदा रस भक्ति का नंदन हमारी आस को ।।