कलयुग की रीत—-मुक्तक—-डी के निवातियां
देख कलयुग की रीत दुनिया भ्रमित होती है
नारी का सम्मान नही पूजा देवी की होती है
मंदिर में चढ़ते फूल माल दंडवत करे प्रणाम
घरो में उनके अक्सर बेटी कर्मो को रोती है !!
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-डी के निवातियां
देख कलयुग की रीत दुनिया भ्रमित होती है
नारी का सम्मान नही पूजा देवी की होती है
मंदिर में चढ़ते फूल माल दंडवत करे प्रणाम
घरो में उनके अक्सर बेटी कर्मो को रोती है !!
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-डी के निवातियां