कलयुग का परिचय
कलयुग के दुष्प्रभावों से तुम नहीं बच पाओगे,
तुम मनुष्य जीवन नहीं जी पाओगे।
तुम अपने कर्मों से शांत नहीं रह पाओगे,
कलयुग के दुष्प्रभावों से तुम मनुष्य जीवन नहीं जी पाओगे।
छोटे – बड़ों को पहचानो तुम,
तब तुम समाज के नजरों से बच पाओगे ।
कलयुग के झोकें में तुम नहीं उड़ पाओगे,
अपने आप को भूल नहीं पाओगे।
अपने – अपनों को भूल जाएंगे ,
कलयुग के दुष्प्रभावों से तुम अपने को नहीं बचा पाओगे ।
मां – बाप ,भाई – बहन के पहचान तुम भूल जाओगे ,
अपने आप को बचा लो तुम।
मैं निशांत ये कह रहा हूँ , जीवन निः शांत हो जाएगा,
प्रभु के प्रखर नजरों से तुम बच नहीं पाओगे ।
अपने कर्मों को सुधारो नहीं तो ,
कलयुग के दुष्प्रभावों से तुम नहीं बच पाओगे।
अपने कर्मों को सुधारो नहीं तो ,
जानवर जीवन ही जी पाओगे ।
कीड़े – मकोड़े को ही खाओगे ,
कलयुग के दुष्प्रभावों से तुम नहीं बच पाओगे।
-निशांत प्रखर