कलयुगी मां
कलयुगी मां
ममता करुणा स्नेह विसारी लोक हया सब त्याग दिए,
रूप स्वरूप विलासिता खातिर मां के रूप विद्रूप हुए
सीता सावित्री अनुसुइया कहलाने वाली कलयुगी मां के
डायन पापिन व हत्यारिन इनके ऐसे प्रचलित नाम हुए ।
मां की ममता मां का अमृत बेटे का हक सब मार दिए
सुन्दर काया के चक्कर में संस्कार सब परित्याग किए
परकिया अब स्व- छंद हो गईं दूजे संग श्रृंगार किए
डायन पापिन व हत्यारिन इनके ऐसे प्रचलित नाम हुए ।
किट्टी पार्टी कभी सम्मेलन घर के बाहर इनके काम हुए
स्टेटस के चक्कर में घूंघट चुनरी सब परिधान त्याग किए
हाथों से छलकाए मधुशाला होठों से सारा जाम पिए
डायन पापिन व हत्यारिन इनके ऐसे प्रचलित नाम हुए ।
मान मर्यादा अभिमान बेचकर लिव इन रिलेशन नाम दिए
खुद को साबित करने के चक्कर में सारी सीमा पार किए
कोख कलंकित करने के बाद फिर पीछे संताप किए
डायन पापिन व हत्यारिन इनके ऐसे प्रचलित नाम हुए ।
तनय तनुजा और खाविंद से नाम के केवल संबंध हुए
देखी जहां लक्ष्मी की माया बस वही उनके सरताज हुए
गला घोंट संबंधों का निर्भय हो दूजे संग ब्यभिचार किए
डायन पापिन व हत्यारिन इनके ऐसे प्रचलित नाम हुए ।
“””””””””””””””””””सत्येंद्र प्रसाद साह( त्येन्द्र विहारी) “”””””””””””””””””