कलयुगी महाभारत ~~
कलयुगी महाभारत
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अरे किस पुस्तक में देख रहे हो, कहानियां पुरुषार्थ की,
ये कलयुग की नियमावली है, कुछ पंक्तियां हैं स्वार्थ की,
शकुनि बन बैठे हैं नेता, द्यूतक्रीड़ा यूं खेल रहे,
जनता मूक बनी हुई है और पांडव सा सब झेल रहे,
दुर्योधन बना हर बेटा, बाप भाई को मार रहा ..
और दुःसाशन है हर इंसान, नारी की इज्जत लूट रहा,
द्रौपदी बन नारी कब तक, खुद को यहां बचाएगी,
कान्हा, अर्जुन , भीम कहां हैं,किससे आस लगाएगी,
ना गीता के उपदेश यहां, ना वीर यहां है पार्थ से,
ना भीष्म से महानायक है, ना विदुर हैं निःस्वार्थ से,
कर्ण से हैं मित्र कहां अब, आस्तीन के सांप हैं,
कलयुगी महाभारत है ये, सब कलयुग के पात्र हैं।
©ऋषि सिंह “गूंज”