कलयुगी बच्चे
पहले जो रहते थे परिवार में छोटे बनकर ,
अब घर का मालिक बन कर रहने लगे हैं।
बड़े तो बेचारे रहते डरे सहमे से दुबककर,
और छोटे बात बात पर आंखें दिखाने लगे हैं।
बच्चे भी अब बच्चे रहे कहां ? दानव बन गए,
माता पिता भी जिनसे अब डरने लगे हैं ।
फरमान सुनाते थे जो उनकी मर्जी पर चलते है ,
इसी वजह से अब दुष्ट मनमानी करने लगे हैं।
ऐसा कलयुग है की बच्चे क्षमा यह नहीं मांगते ,
अब बेचारे माता पिता ही इनसे क्षमा मांगने लगे हैं।
इस पर भी यदि और शैतान सवार हो जाए तो,
अपने जन्म दाताओं का कत्ल तक करने लगे हैं।
रिश्ते नाते इनके लिए कुछ महत्व नहीं रखते अब ,
यह कलयुगी बच्चे निहायत ही खुदगर्ज बनने लगे हैं।
उस मासूमियत और भोलेपन को भूल जा ” अनु”,
अब यह बच्चे चंडाल का साक्षात रूप लगने लगे हैं।