कलयुगी प्यार
देखो कलयुगी प्रेम प्यार
बन गया है प्रेम व्यापार
प्रतीति तनिक रही नहीं
जग में प्रीत हुई लाचार
धोखा तो पग पग पर है
कपटी छाया जग पर हैं
नजरों का नजरों से था
नजरअंदाज हुआ प्यार
बात जो होती दिल में थी
मुख से वहीं मुखरित थी
दिल के काले लोग यहाँ
सिमट गया है अब प्यार
कसमें वादे अब रहे नहीं
एक दूसरे पर हैं मरे नहीं
अवसरवादी हो गए प्रेमी
वासनामय हो गया प्यार
हीर-रांझा और लैला-मजनूं
सोहणी-महिवाल ससी-पुन्नू
रोमियो-जुलियट हैं लोप हुए
सच्चा प्रेम हुआ है दरकिनार
संस्कृति संस्कार भी रहे नहीं
रिश्तों नाते शर्म हया रही नहीं
प्रेम सीमा रही नहीं है सीमित
खुल्लमखुल्ला हुआ अब प्यार
सुखविंद्र सिंह मनसीरत