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2 Nov 2019 · 1 min read

कलयुगी प्यार

देखो कलयुगी प्रेम प्यार
बन गया है प्रेम व्यापार
प्रतीति तनिक रही नहीं
जग में प्रीत हुई लाचार

धोखा तो पग पग पर है
कपटी छाया जग पर हैं
नजरों का नजरों से था
नजरअंदाज हुआ प्यार

बात जो होती दिल में थी
मुख से वहीं मुखरित थी
दिल के काले लोग यहाँ
सिमट गया है अब प्यार

कसमें वादे अब रहे नहीं
एक दूसरे पर हैं मरे नहीं
अवसरवादी हो गए प्रेमी
वासनामय हो गया प्यार

हीर-रांझा और लैला-मजनूं
सोहणी-महिवाल ससी-पुन्नू
रोमियो-जुलियट हैं लोप हुए
सच्चा प्रेम हुआ है दरकिनार

संस्कृति संस्कार भी रहे नहीं
रिश्तों नाते शर्म हया रही नहीं
प्रेम सीमा रही नहीं है सीमित
खुल्लमखुल्ला हुआ अब प्यार

सुखविंद्र सिंह मनसीरत

Language: Hindi
340 Views
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