– कलयुगी जन्मदाता (माता पिता) –
– कलयुगी जन्मदाता (माता पिता) –
खुद की मस्ती में मौज करते,
अपनी संतति का नही रखे ध्यान,
संतान को न दे पाए अच्छे संस्कार,
पश्चिमी सभ्यता , संस्कृति में रमाए,
और भी खुद भी रम जाए,
अपने कर्तव्य का जो नही रख पाए कभी भी भान,
जैसा बीज बोया है भविष्य में वैसा ही फल पाए,
यू नियति के कारण भविष्य गत में ले जाए,
खुद भी रोए और आने वाली संतति को भी रोने के लिए छोड़ जाए,
जिन्होंने नही रखना कभी भी अपने परिवार के प्रति अपने कर्तव्यों का,
वो कैसे करे अपनी संतति से अधिकारों की मांग,
संतति भी जैसा देखा बचपन में वैसा ही व्यवहार कर पाए,
उनके दादा दादी को उनके जन्मदाता (माता पिता) जो सताए,
ऐसे कलयुगी जन्मदाताओं से भरत गहलोत करे बस इतनी सी गुहार,
बस ऐसे जन्मदाता अपनी संतानों में करे भारतीय सभ्यता व संस्कृति का संचार,
✍️✍️ भरत गहलोत
जालोर राजस्थान