#कलम#
दिल की कलम,हाथों में लिए।
सच्चाई की स्याही से,
कोरे कागज पे नित् नए अल्फाज़ भरे।
दूरदृष्टि रख,
कर्म पादुका लिए,कभी मंद-मंद तो कभी तीव्र गति से
चलता चले।
सरपट दौडे,हर मौसम,हर पहर,
चाहे सुबह हो या शाम ढले।
दृढप्रतिज्ञ बने,
राख करे असूरों का,वो ज्वाला बने।
दिल की कलम,हाथों में लिए।
सच्चाई की स्याही से,
कोरे कागज पे नित् नए अल्फाज़ भरे।।
ये कलम रूकने न पाए।
किसी के आगे झूकने न पाए।
घुटने न टेके सामप्रदायिक ताकतों के सामने।
राजनीतिक गतिविधियों का आकलन करे।
धर्म -अधर्म का संकलन करे।
दिल की कलम,हाथों में लिए।
सच्चाई की स्याही से,
कोरे कागज पे नित् नए अल्फाज़ भरे।।
कलमबद्ध करे हर मार्मिक परिदृश्य का।
शिष्ट-बिशिष्ठ -शिष्टाचार काअवलोकन करे।
पाखंडीयों,धर्म के ठेकेदारों का गर्दन धरे।
अवरोधों से रूकने न पाए।।
स्वतंत्र-स्वच्छन्द बहे नीर की तरह।
दाँत खट्टे करे दे दही की तरह,
शहद बन स्वाद बने खीर की तरह।
चीर दे सीना दुश्मनों का,वतनपरस्तों का।
तीक्ष्न रहे, बेवाक रहे।
दिल की कलम,हाथों में लिए।
सच्चाई की स्याही से,
कोरे कागज पे नित् नए अल्फाज़ भरे।
बेवजह किसी का जुल्म न सहे।
सात्विक, सत्संग व अखणडता का पाठ करे।
गरीब-गुरबा की ताकत बने।
साक्षर बने,अशिक्षा दुर करे।
ठाठ बने,लाठ धरे दिलों के गांठ खोले।
चाटुकारिता त्यागे,न झूठा दम्भ भरे।
दिल की कलम,हाथों में लिए।
सच्चाई की स्याही से,
कोरे कागज पे नित् नए अल्फाज़ भरे।
शिक्षा का द्विप धरे,
जग आलोकित करे।
गुलामी त्यागे, स्वतंत्रता का प्रतीक बने।
मानवतावादी बने,सच्चाई के लिए हरदम लडे।
अचल रहे पर्बत की तरह अविचल डटे रहे।
जुल्म न सहे,गंगा की तरह स्वच्छ बहे,
सदा पवित्र रहे।
दिल की कलम,हाथों में लिए।
सच्चाई की स्याही से,
कोरे कागज पे नित् नए अल्फाज़ भरे।
दुनिया को कलम की ताकत का ईल्म कराए।
हर भाव को समेटे,निडर,निरन्तर चलता चले।
जगत् की हर तस्वीर को,
अपने कलम से कलमबद्ध कर,
नःस्वार्थ भावों को उकेरे।
दिल की कलम,हाथों में लिए।
सच्चाई की स्याही से,
कोरे कागज पे नित् नए अल्फाज़ भरे।
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स्वरचित कवि, गीतकार,
संगीतकार व गायक :- Nagendra Nath mahto.
तिथि:- 14/जुन/2021
All copyrights:- Nagendra Nath mahto.