कलम सी है वो..
कल कल बहते शांत जल सी है वो
हर समय जो खिला रहे उस गुड़हल सी है वो।
सपनो को जो उम्मीद दे उस कल सी है वो
बेचैनी भरे इस जहां में सुकून के पल सी है वो
मै हूं शब्द अगर तो फिर कलम सी है वो।
Akash RC Sharma ✍️ ©️
कल कल बहते शांत जल सी है वो
हर समय जो खिला रहे उस गुड़हल सी है वो।
सपनो को जो उम्मीद दे उस कल सी है वो
बेचैनी भरे इस जहां में सुकून के पल सी है वो
मै हूं शब्द अगर तो फिर कलम सी है वो।
Akash RC Sharma ✍️ ©️