कलम की तड़प
आज मैंने कुछ नया लिखा नहीं
आज मन बहुत उदास है
ना कहानी ना गीत ना छंद ना रुबाई
सिर्फ आंसू ही मेरे पास हैं
सोचता था ये साल बेहतर होगा सबके लिए
पिछले साल ने सबको रुसवा किया था
हंसी खुशी से बीत रही थी जिंदगी
कौमा नही पूर्ण विराम ही लगा दिया था
इस साल हर इंसान रोया था अपनो के लिए
तरसता रहा इस बार भी सपनो के लिए
सोचते सोचते आधा साल युहीं गुजर गया
समय तो चलता रहा पर इंसान ठहर गया
आगे अच्छा हो तो कुछ लिखने का मन होगा
मुरझाई कलियों का भी खिलने का मन होगा
नई उमंग नई चाहत शायद सब नया नया होगा
नए जोश के साथ ही तो मिलने का मन होगा
वीर कुमार जैन
30 जून 2021