कलम कटार मेरी ____घनाक्षरी
कलम कटार मेरी तेज जिसकी धार है।
वार करे ऐसा करे जंग जीत जाती है।।
अनाचारी दुराचारी शत्रुओं को देखकर।
जुड़कर नीति संग जंग जीत जाती है।।
प्रेम के तराने गाती, फैलाती है प्रीत यह।
समरसता के ही गीत गुनगुनाती है।।
मेरी इस कटार से बेइंतहा प्यार मुझे।
बनकर संगिनी ये संगीत सुनाती है।।
राजेश व्यास अनुनय