कलम और कविता
कलम और कविता का साथ
हमेशा हो इनका हाथ में हाथ।
दोनों इक दूजे बिन हैं अधूरी
कविता कलम बिन न हो पूरी।
कविता कलम बिना न लिख होय
कलम कविता बिन जा सोय।
ऐसे साथ जैसे फूल और खुशबू
दोनों इक दूजे से ये करती गुफ्तगू।
फिर लिख देती नयी कहानियां
कभी कभी दोनों करें मनमानियां
सुरिंदर कौर