कलम उठा
ना बंदूक,
ना बम उठा
कलम उठा!
कलम उठा!!
अपनी गुस्ताख
नज़्मों से,
अपने बेबाक
फिकरों से
ज़ुल्मत की
बुनियाद हिला।
कलम उठा!
कलम उठा!!
Shekhar Chandra Mitra
ना बंदूक,
ना बम उठा
कलम उठा!
कलम उठा!!
अपनी गुस्ताख
नज़्मों से,
अपने बेबाक
फिकरों से
ज़ुल्मत की
बुनियाद हिला।
कलम उठा!
कलम उठा!!
Shekhar Chandra Mitra