कलम उठाऊँ तो क्या लिखूँ
कलम उठाऊँ, तो क्या लिखूँ?
गीत लिखूँ या प्यार तुम्हारा!
जलन तुम्हारी लिख डालूँ,
या घुटन का संसार तुम्हारा!
माथे की बिंदिया लिख डालूँ
या सुंदर सिंदूर तुम्हारा!
आँखों की मुस्कान लिखूँ,
या मन के डर का तार तुम्हारा!
कहो समर्पण लिख डालूँ,
या साहस दो – चार तुम्हारा!