कलतलक हम भी उनकी तारीफ़ मुंहजबानी करते थे
कलतलक हम भी उनकी तारीफ़ मुंहजबानी करते थे
जब तक वो दिल में मोहब्बत की बागवानी करते थे
आज हम जहां के गुलाम शहरी कहे जाने लगे हैं
एक दौर में हमारे पुरखे यहीं हुक्मरानी करते थे
हयात की हकीकत को छुपाना क्या बताना क्या
ज़िन्दगी के शुरुआती मरहले में हम चाय पानी करते थे
अब के बच्चों में बड़े होनी कि इतनी जल्दी है की रब्बा
तनह हम इनकी उम्र में थे तो नादानी करते थे