कर लूँ श्रिंगार ….
कर लूँ श्रिंगार ….
जी भर कर लूँ श्रिंगार
पिया मिलन को आएँगे …
मैं बन जाऊँ बाँसुरी
जो वो कृष्णा रूप में आएँगे
सुन मेरी मीठी तान
शायद यहीं रुक जाएँगे ….
या बन डोरी छू आऊँगी फ़लक
जो वो मेरी पतंग बन जाएँगे
देख मेरा इतराना संग उनके
शायद यहीं रुक जाएँगे …
बरखा का पानी बन जाऊँ
जो वो बादल बन जाएँगे
इठलाते हुए घूमेंगे दोनो
फिर शायद कहीं बरस जाएँगे
बन कजरी काली में उनके
नैनों में रम जाऊँ
प्रेम पाश में लुभाऊँ उनको
फिर शायद दिल में समा जाऊँ
सरिता बन कल कल
बहती जाऊँ मैं निश्चल
देख मेरा बहता रूप
सागर बन पास बुलाएँगे
बन जाऊँगी मैं रोली
जो वो अक्षत बन जाएँगे
मस्तक पर फिर वो अपने
टीका बना सजाएँगे
बन जाऊँ मैं धूप
जो आफ़ताब बन जाएँगे
साये जैसे साथ चलूँगी
एक दूज़े के हम पूरक हो जाएँगे
सेज सज़ा कर साधें बिछा लूँ
कर लूँ जी भर श्रृंगार
आज पिया मिलन को आएँगे