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15 Aug 2021 · 1 min read

कर रहे शायरी ग़ज़ल

2122 2122 2122 212

हम जमाना भूल बैठे दिल लगाने के लिए
माँग हम सिंदूर से उसकी सजाने के लिए

रूठना नखरे दिखाना ये तभी अच्छा लगे
पास जब हमदर्द हो कोई मनाने के लिए

मुश्किलें कितनी पड़ें, डटकर करेंगे सामना
कर लिया है प्रण उसे अपना बनाने के लिए

जो सुने दिल की हमे महबूब ऐसा चाहिए
साथ दे दुख दर्द में हमको हँसाने के लिए

याद में उसके, कई मजनूं बने शायर यहां
लिख रहे ग़म शायरी अब गुनगुनाने के लिए

कर रहे मजबूरियों में शायरी ग़ालिब यहाँ
मिल रहा आराम इससे ग़म छुपाने के लिए

अभिनव मिश्र अदम्य

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