कर में पकड़ी है तलवार
************आल्हा छंद / वीर छंद* *********
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नहीं किसी से कभी डरेंगे,कर में पकड़ी है तलवार।
मर जाएंगे या मारेंगे, करते रहेंगे वार बार बार।।
दुश्मन को चने चबाएंगे, हिम्मत से हम लेंगे काम।
बाजुओं का बल दिखाएंगे,कर देंगे झट काम तमाम।।
सौगंध आज खाई हमने,जीत बिना न जीना गवार।
हस्त में खड्ग पकड़ी सबने, होकर आए घुड़सवार।
विजय पताका लहराएंगे, गाएँगे हम राष्ट्रीय गान।
खुशियों से जश्न मनाएंगे ,होगी विश्व पटल पर शान।
मनसीरत ने ठाना मन में,बजा दिया आज शंखनाद।
जीत हार का ना भय हम में,नही पलटेंगे हम बयान।।
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)
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