कर दो ना
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Dr Archana Gupta
370 Fol
एकाकीपन को तुम दुल्हन कर दो ना
प्रेम भाव से झंकृत ये मन कर दो ना
तुम ही बंजर मन में फूल खिला सकते
नाम हमारे अपना जीवन कर दो ना
विरह अगन में जलकर झुलस गए सपने
हरा भरा फिर इनका उपवन कर दो ना
कदम कदम पर उलझन घेर रहीं आकर
एक एक कर हल हर उलझन कर दो ना
श्याम बनो तुम ,राधा मैं बन जाती हूँ
इस जीवन को तुम वृंदावन कर दो ना
स्वीकार अर्चना कर लो मेरी मीरा सी
प्रेम ‘अर्चना’ का अब पावन कर दो ना
14-10-2019
डॉ अर्चना गुप्ता
मुरादाबाद