कर्म ही आड़े आएगा
कहती है गीता कर्म है पूजा, कर्म ही आड़े आएगा।
तूने जैसे कर्म किया है, वैसे ही फल पाएगा।।
मस्त रहा यौवन के मद में, प्रेम-विवाह रचाया था।
सम्बंधों को तार-तार कर, तूने ही ठुकराया था।
आज बुढ़ापा भारी तुझ पे, तुझे कौन अपनाएगा।।
तूने जैसे कर्म किया है, वैसे ही फल पाएगा।।
अपने सपने पूरे करने, भेजा लाल विदेशों में।
सखा मित्र ये गली मोहल्ले में रहते हो क्लेशों में।
हाल-चाल पूछे अब कैसे, दया कौन दिखलाएगा।
तूने जैसे कर्म किया है, वैसे ही फल पाएगा।।
जीवनभर की खरी कमाई, सुख में खूब उड़ाया है।
सोचा नहीं जीवन के वास्ते, पूंजी नहीं बचाया है।
आय नहीं कौड़ी भर की अब, जूठी-पत्तल खाएगा।।
तूने जैसे कर्म किया है, वैसे ही फल पाएगा।।
खाने वाले छोड़ नहीं तू, जूठन अपनी थाली में।
अन्नदेव को फेंक नहीं यूं, गन्दी वाली नाली में।
रूठ गया गर ऊपर वाला, तुझको भी तरसाएगा।
तूने जैसे कर्म किया है, वैसे ही फल पाएगा।।
संतोष बरमैया #जय