कर्म या हकीक़त
कर्म या हक़ीक़त
कुछ समय पहले की बात हैं एक गाँव में दो दोस्त रहते थे रवि औऱ किशन । उनकी दोस्ती आस पास के सभी गाँव वालों के लिए एक मिसाल थी , वो कहने को अलग अलग माँ की कोख़ से जनमे हो लेक़िन वो सगे भाइयों से कम नही थे । साथ बड़े हुए रवि औऱ किशन की शादी भी एक साथ ही हुई, थोड़े समय बाद किशन की नॉकरी एक बड़े शहर में लग गई । वैसे तो किशन बहुत ख़ुश था इस बात से पर वो रवि को छोड़ कर नहीं जाना चाहता था , अपने बचपन के साथ औऱ अपने गाँव को छोड़ कर जाए तो भी कैसे !
रवि के बहुत बार समझाने पर भी किशन जाने को तैयार नही हुआ , लेक़िन रवि ने हार नही मानी आख़िर एक दिन रवि की कोशिश पूरी हुई औऱ किशन जाने को मान गया । रवि के लिये किशन को भेज पाना बहुत मुश्क़िल था , पर उसकी क़ामयाबी के लिए रवि को ये करना पड़ा । कब काम पूरा होगा कब आएगा कुछ पता नही था, उन दोनों को ये तक नही पता था कि वो एक दूसरे को कब देख पाएँगे । जाने से पहले रवि और किशन ने एक दूसरे को वादा किया था कि कुछ भी हो जाए कैसे भी हालात आ जाए लेक़िन हम कभी कोई गलत राह नही चुनेंगे, अपना अपना कर्म करेंगे । अब किशन शहर जाने के लिए निकल गया था औऱ दोनों ही अपनी अपनी राह पर चल दिये ।
समय पँख लगा कर उड़ता गया उधर किशन अपने उसूलों के साथ सफ़लता की सीढ़ियां चढ़ रहा था तो इधर रवि की आर्थिक स्थिति बिगड़ती जा रही थी वो अपने हालातों से परेशान था । धीरे धीरे रवि अपना किया हुआ वादा भूल रहा था, वो अब अपने कर्म को छोड़ अपनी हक़ीक़त को ध्यान में रखते हुए एक नए रास्ते पर निकल गया । रवि को ये नही पता था कि जिस राह पर वो चल रहा हैं कही न कही वो उसे अपने वादे से और कर्म से भटका रही थी । रवि किशन के जाने के बाद अपना किया हुआ वादा भी भूल रहा था, कहने को तो रवि जो काम कर रहा था वो उसके लिए ग़लत नही हैं लेक़िन चोरी करके अपने परिवार का पेट भरना उसकी हक़ीक़त बन गई ।
वक़्त बितता गया कुछ वर्षों बाद किशन वापिस अपने गाँव आया । सब कुछ बदल गया था लेक़िन उसे उम्मीद थी कि रवि आज भी वैसा ही होगा जैसा आख़िरी बार उसे देखा था । किशन एक ज़माने बाद रवि से मिलने वाला था वो बहुत ही
ख़ुश था, वो अपने मन मे अपने बचपन के दोस्त के लिए हज़ारों बातें लिए उसके घर के दरवाज़े पर खड़ा था । लेक़िन जैसे ही रवि ने अपने घर का दरवाज़ा खोला किशन की उम्मीदें औऱ उसकी हज़ारो बातें मानों ख़त्म हो गई थी । किशन रवि की ये हालत देख कर बहुत दुःखी था जिस रवि को वो जानता था न जाने वो रवि कहा चला गया, उसके हालात उसके रहने का अंदाज़ सब बदल गया ।
रवि किशन से मिलकर बहुत ख़ुश था लेक़िन एक तरफ़ वो अपनी हालत को देखकर बहुत शर्मिंदा था, किशन शहर में रहने वाला एक बड़ा अफसर औऱ रवि एक छोटे से गाँव मे चोरी से अपने परिवार का पेट भरने वाला एक साधारण व्यक्ति । वो पल जैसे ठहर सा गया था ना ही किशन कुछ समझ पा रहा था औऱ ना ही रवि अपने हालात समझा पा रहा था, चारों तरफ़ बस सन्नाटा छा गया ।
किशन ने रवि से पूछा कि हमारा बचपन, हमारी बातें, हमारे वादे सब कहा चले गए आख़िर ऐसी क्या मज़बूरी थी कि तुम्हें अपना वादा भूलना पड़ा । क्यों तुम्हारी हकीक़त तुम्हारे कर्म पर भारी पड़ गई ?
रवि ने किशन को अपनी सारी आपबीती बताई कैसे उसकी आर्थिक स्थिति बिगड़ गई क्यों उसे ये राह चुननी पड़ी । ये सब सुन कर किशन को बहुत बुरा लगा, हालात इतने बिगड़ जाएँगे दोनों ने कभी नही सोचा था । किशन ने रवि से कहा एक बार मुझे बताया तो होता अपने बचपन की दोस्ती इतनी कमज़ोर थी क्या की मैं तुम्हारी मदद करने भी नही आता या तुमनें मुझे इस क़ाबिल ही नही समझा ।
रवि ने कहा नही मेरे भाई ऐसा कुछ नही हैं, मैंने तो बस इसलिए नही बताया क्योंकि मैं तुम्हें परेशान नही करना चाहता था । मुझे माफ़ कर देना की मैंने अपनी हकीक़त से मजबूर हो कर अपना वादा तोड़ा औऱ अपने कर्म को छोड़ कर ग़लत राह चुनी । लेक़िन मैं तुम्हें विश्वास दिलाता हूँ कि मैं ग़लत राह को छोड़ कर अपनी हकीक़त सुधारने की कोशिश करूँगा, औऱ दोबारा तुम्हें निराश नही करूँगा ।
अब सब कुछ सुधर रहा था रवि औऱ किशन ने एक दूसरे के साथ बहुत अच्छा वक़्त बिताया, थोड़े दिनों बाद किशन वापिस शहर लौट गया । अब रवि भी चोरी का काम छोड़ कर मेहनत से अपने परिवार का पेट भरने लगा था और दोनों ही अपनी अपनी दुनियां में ख़ुश थे ।
पायल पोखरना कोठारी