Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
11 Nov 2023 · 1 min read

– कर्म किए जाओ –

– कर्म किए जाओ –
कर्मशील अपना जीवन बनाओ,
कर्म ही जीवन है इस जहां मे,
इस बात को अपने हृदय मे लगाओ,
जन्म से नही कर्म से व्यक्ति होता है महान,
इस बात का रखना तुम सदा ही भान,
कर्म की खेती से तुम भाग्य की फसल को उगाओ,
कर्म करता हुआ मानव,
भाग्य को चमकाता है,
भाग्य को निखारने मे कर्म को सीढ़ी तुम बनाओ,
कर्म से ही होगा उत्कृष्ठ जीवन तुम्हारा,
कर्म किए जाओ,
भरत गहलोत
जालोर राजस्थान
मो.77420161844

Language: Hindi
211 Views

You may also like these posts

दृष्टि
दृष्टि
Ajay Mishra
शीर्षक -फूल सब पथ मैं सजा लूंँ!
शीर्षक -फूल सब पथ मैं सजा लूंँ!
Sushma Singh
Subject-Patriotism
Subject-Patriotism
Priya princess panwar
3053.*पूर्णिका*
3053.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
#धवल_पक्ष
#धवल_पक्ष
*प्रणय*
झोपड़ियों से बांस खींचकर कैसे मैं झंडा लहराऊँ??
झोपड़ियों से बांस खींचकर कैसे मैं झंडा लहराऊँ??
दीपक झा रुद्रा
उम्र के पन्नों पर....
उम्र के पन्नों पर....
sushil sarna
वर्तमान चोर संत कबीर।
वर्तमान चोर संत कबीर।
Acharya Rama Nand Mandal
भँवर में जब कभी भी सामना मझदार का होना
भँवर में जब कभी भी सामना मझदार का होना
अंसार एटवी
वसंत आगमन
वसंत आगमन
SURYA PRAKASH SHARMA
12 fail ..👇
12 fail ..👇
Shubham Pandey (S P)
अपने मन मंदिर में, मुझे रखना, मेरे मन मंदिर में सिर्फ़ तुम रहना…
अपने मन मंदिर में, मुझे रखना, मेरे मन मंदिर में सिर्फ़ तुम रहना…
Anand Kumar
वक़्त की ललकार
वक़्त की ललकार
Shekhar Chandra Mitra
जब बातेंं कम हो जाती है अपनों की,
जब बातेंं कम हो जाती है अपनों की,
Dr. Man Mohan Krishna
दिल हो काबू में....😂
दिल हो काबू में....😂
Jitendra Chhonkar
हुस्न है नूर तेरा चश्म ए सहर लगता है। साफ शफ्फाफ बदन छूने से भी डर लगता है।
हुस्न है नूर तेरा चश्म ए सहर लगता है। साफ शफ्फाफ बदन छूने से भी डर लगता है।
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
माटी
माटी
जगदीश लववंशी
वसुधैव कुटुंबकम्
वसुधैव कुटुंबकम्
Paras Nath Jha
बीते दिन
बीते दिन
Kaviraag
तुझ से बस तेरा ही पता चाहे
तुझ से बस तेरा ही पता चाहे
Dr fauzia Naseem shad
तेरे झूठ का जहर, तो जहर बांट रहा है।
तेरे झूठ का जहर, तो जहर बांट रहा है।
Sanjay ' शून्य'
खुद को ढाल बनाये रखो
खुद को ढाल बनाये रखो
कार्तिक नितिन शर्मा
सांझ सुहानी मोती गार्डन की
सांझ सुहानी मोती गार्डन की
ओमप्रकाश भारती *ओम्*
"ओ मेरे मांझी"
Dr. Kishan tandon kranti
*पत्रिका समीक्षा*
*पत्रिका समीक्षा*
Ravi Prakash
**सत्य**
**सत्य**
Dr. Vaishali Verma
"वक्त की बेड़ियों में कुछ उलझ से गए हैं हम, बेड़ियाँ रिश्तों
Sakshi Singh
हाय इश्क
हाय इश्क
पूर्वार्थ
ज़िंदगी किसे अच्छी नहीं लगती ?
ज़िंदगी किसे अच्छी नहीं लगती ?
ओनिका सेतिया 'अनु '
हम से मोहबत हों तो वक़्त रहते बता देना|गैरो से जादा बात नही
हम से मोहबत हों तो वक़्त रहते बता देना|गैरो से जादा बात नही
Nitesh Chauhan
Loading...