कर्म अच्छे कीजिये ये साथ जाएँगे
कर्म अच्छे कीजिए ये साथ जाएँगे
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कर्म अच्छे कीजिये ये साथ जाएँगे,
दुआ सब से लीजिये ये साथ जाएँगे।
सुनो बातें ज्ञान की कहें बातें ज्ञान की,
वचन मधुरीम दीजिए ये साथ जाएँगे।
नफरर्तों के जाल में कभी नहीं फंसिए,
प्रेम का बीज सींचिए ये साथ जाएँगे।
गम भरे बादल बन कर रहेंगे बरसते,
यूं मुस्कराना सीखिए ये साथ जाएँगे।
हर पल मर रहा हर कदम मानसीरत,
रंज की घूंट पीजिए ये साथ जाएँगे।
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सुखविन्द्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)