कर्मवीर को ना रोक
ये कर्मवीर, ये धर्मवीर , ये महावीर , करके निरोग घर भेज रहे।
सेवा अहर्निश,नहीं करें हिश,लेकर विश,एकाकीपन में देख रहे ।।
करें जागरूक,तपती धूप,त्यागें भूख,सामाजिक दूरी बनाए रखें ।
छोड़ घर द्वार,कहें बार-बार,घर पर रह कर सबको स्वस्थ रखें ।।
बढ़े प्रतिरक्षा तंत्र , देकर मंत्र , घर-घर काढ़ा ये पिला रहे ।
लगा जीवनदाँव,कहीं धूप छाँव,बच्चे बूढ़े जवान को जिला रहे ।।
करें सफाई,दफाई ,बहन भाई, कहें ऐसी बीमारी कभी ना आये ।
बीमारी हराई,करके सफाई,ना रोक श्रम वीरों को सबने ये गाये।।
सुनकर व्यथा, कई संस्था , भोजन पानी का कर रहीं प्रबंध ।
जग आपत्ती में,ऐसी विपत्ति में,करें सेवा इसे ही कहते भाई बंध ।।
जपें “ओम”,गुंजारित व्योम,करके होम,पर्यावरण पावन हो रहा ।
सीख लें हम,प्रदूषण कम, संतुलन सम,पर्यावरण प्रसन्न हो रहा।।
ओमप्रकाश भारती “ओम्”