Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
22 Feb 2024 · 1 min read

कर्मयोग बनाम ज्ञानयोगी

फिर प्रश्न-
कर्मों का संन्यास- ‘ज्ञानयोग’
या फिर ‘कर्मयोग’
कौन श्रेष्ठ है ?
उत्तर मिलता है-
दोनों कल्याणकारी हैं
पर
‘कर्म संन्यास’ से श्रेष्ठ है
कर्मयोग
कर्मयोग के बिना
‘ज्ञानयोग’ कहाँ ?
‘कर्मयोग’ ही तो है
जो प्रशस्त करता है
‘ज्ञानयोग’ का मार्ग.
कर्मों को प्रकृति के लिए छोड़
आसक्ति त्याग
कर्म करने वाला
‘पाप’ से वैसे ही लिप्त नहीं होता
जैसे जल से कमल-पत्र
यही है
आत्मा की प्रकृति,
आत्मा किसी का पाप ग्रहण नहीं करती
और न ही पुण्य
सभी स्थितियों में समता
यही तो है लक्षण
उत्तम पुरुष का
यही आधार है
उत्कृष्ट जीवन का.
अस्तु,
‘प्रिय’ को लेकर हर्ष
अप्रिय होने पर ‘विषाद’
निषिद्ध

Language: Hindi
1 Like · 124 Views
Books from डा. सूर्यनारायण पाण्डेय
View all

You may also like these posts

डमरू घनाक्षरी
डमरू घनाक्षरी
seema sharma
तू नहीं है तो ये दुनियां सजा सी लगती है।
तू नहीं है तो ये दुनियां सजा सी लगती है।
सत्य कुमार प्रेमी
🌷*
🌷*"आदिशक्ति माँ कूष्मांडा"*🌷
Shashi kala vyas
1.राज
1.राज "अविरल रसराजसौरभम्"
पं.आशीष अविरल चतुर्वेदी
मडमिंग (गोंडी विवाह) की संकल्पना
मडमिंग (गोंडी विवाह) की संकल्पना
GOVIND UIKEY
तन्हा ही खूबसूरत हूं मैं।
तन्हा ही खूबसूरत हूं मैं।
शक्ति राव मणि
श्रमिक
श्रमिक
Dr. Bharati Varma Bourai
आज  का  युग  बेईमान  है,
आज का युग बेईमान है,
Ajit Kumar "Karn"
ग़म भूल जाइए,होली में अबकी बार
ग़म भूल जाइए,होली में अबकी बार
Shweta Soni
एक ख़ास हैं।
एक ख़ास हैं।
Sonit Parjapati
" ज्ञान "
Dr. Kishan tandon kranti
आज है बेबस हर इन्सान।
आज है बेबस हर इन्सान।
श्रीकृष्ण शुक्ल
पूरी कर  दी  आस  है, मोदी  की  सरकार
पूरी कर दी आस है, मोदी की सरकार
Anil Mishra Prahari
एक अरसा हो गया गाँव गये हुए, बचपन मे कभी कभी ही जाने का मौका
एक अरसा हो गया गाँव गये हुए, बचपन मे कभी कभी ही जाने का मौका
पूर्वार्थ
बालि हनुमान मलयुद्ध
बालि हनुमान मलयुद्ध
Anil chobisa
तुम्हारे साथ,
तुम्हारे साथ,
हिमांशु Kulshrestha
रक्तदान
रक्तदान
Dr. Pradeep Kumar Sharma
माँ सरस्वती अन्तर्मन मन में..
माँ सरस्वती अन्तर्मन मन में..
Vijay kumar Pandey
दर्शन
दर्शन
Rambali Mishra
पुस्तक समीक्षा- धूप के कतरे (ग़ज़ल संग्रह डॉ घनश्याम परिश्रमी नेपाल)
पुस्तक समीक्षा- धूप के कतरे (ग़ज़ल संग्रह डॉ घनश्याम परिश्रमी नेपाल)
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
निर्णय
निर्णय
NAVNEET SINGH
मैं चाहता था कोई ऐसी गिरफ्त हो,
मैं चाहता था कोई ऐसी गिरफ्त हो,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
*रखो हमेशा इस दुनिया से, चलने की तैयारी (गीत)*
*रखो हमेशा इस दुनिया से, चलने की तैयारी (गीत)*
Ravi Prakash
सांस्कृतिक संक्रांति
सांस्कृतिक संक्रांति
Laxmi Narayan Gupta
अब बहुत हुआ बनवास छोड़कर घर आ जाओ बनवासी।
अब बहुत हुआ बनवास छोड़कर घर आ जाओ बनवासी।
Prabhu Nath Chaturvedi "कश्यप"
हैंगर में टंगे सपने ....
हैंगर में टंगे सपने ....
sushil sarna
2618.पूर्णिका
2618.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
जुदाई।
जुदाई।
Priya princess panwar
#दीनदयाल_जयंती
#दीनदयाल_जयंती
*प्रणय*
यमराज हार गया
यमराज हार गया
Ghanshyam Poddar
Loading...