कर्मफल
कर्मफल
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( विष्णुपद छंद )
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जैसा अन्न खिलाया-खाया, वैसा मन होगा ।
सबने अपने कर्मों का फल, धरती पर भोगा ।।
सरल सहज जीवन काटा तो, खिलते सुमन मिलें ।
काँटों के यदि पेड़ लगाये, कैसे फूल खिलें ।।३
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राधे…राधे…!
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महेश जैन ‘ज्योति’,
मथुरा !
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