कर्मफल
लाभ नहीं कुछ होना मानव यूँ किस्मत पर रोने से
कहाँ मुसाफिर मंजिल पाता बीच राह मे सोने से
पुष्प भरी शैय्या की मन में इच्छा सभी रखें लेकिन
कहाँ मिलें हैं पुष्प सलोने केवल काँटा बोने से !!
©
शरद कश्यप
लाभ नहीं कुछ होना मानव यूँ किस्मत पर रोने से
कहाँ मुसाफिर मंजिल पाता बीच राह मे सोने से
पुष्प भरी शैय्या की मन में इच्छा सभी रखें लेकिन
कहाँ मिलें हैं पुष्प सलोने केवल काँटा बोने से !!
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शरद कश्यप