कर्मगति
युवावस्था में जो संतान अपने माता पिया को ,
दुख ,संताप और तिरस्कार देती है ।
अपनी वृद्धावस्था में फिर ब्याज के रूप में ,
वही दुख ,संताप और तिरस्कार पाती हैं।
क्योंकि कर्मगति टाले नहीं टलती,
वोह लौटकर अवश्य आती है ।
युवावस्था में जो संतान अपने माता पिया को ,
दुख ,संताप और तिरस्कार देती है ।
अपनी वृद्धावस्था में फिर ब्याज के रूप में ,
वही दुख ,संताप और तिरस्कार पाती हैं।
क्योंकि कर्मगति टाले नहीं टलती,
वोह लौटकर अवश्य आती है ।