कर्पूर एक–गुण अनेक
इसमें ‘कपूर’ के धार्मिक और औषधीय गुणों के प्रयोग की व्याख्या की गई है।
आशा है लेख पसंद आयेगा
——————————-
।कर्पूर एक।।
।गुण अनेक।
—————————
कर्पूर अथवा आम भाषा में जिसे कपूर कहते हैं; एक ऐसा पदार्थ है जिसे भारतवर्ष में हर घर में किसी न किसी रूप में प्रयोग में लाया जाता है।किसी घर में यह पूजा,हवन और कहीं यह कपड़ों में कीड़े न लगने के लिये रखा होता है।
इसका उदगम् चीन,ताईवान; वियतनाम और जापान आदि देशों में पाये जाने वाले एक पेड़ की छाल को उबाल कर प्राप्त किया जाता है।इन देशों में यह पेड़ बाग़ों में सौंदर्य बढ़ाने के लिये लगाया जाता है।
आयुर्वेद की बहुत सी दवाईयां में भी प्रयोग होता है।यहाँ तक होम्योपैथी की दवा ‘CAMPHOR’ भी इससे बनाई जाती है।यह हैज़ा रोकने के लिये सबसे उपयुक्त मानी जाती है।और बहुत सी होमियोपैथी की दवाओं के विष का प्रतिरोध भी करती है अर्थात यदि किसी होम्योपैथी की दवा रा दुष्प्रभाव होता है तो वह camphor से दूर किया जा सकता है।दस्त लगने पर खाने वाली कपूर की आधी टिकिया पानी के साथ काली मोटी इलायची;छोटी इलायची:अजवायन और कीन लौंग के साथ उबाल लें। चौथाई पानी रहने पर थोड़ा थोड़ा पिलायें।दस्; उलटी रुक जायेंगीं।
कर्पूर के एक और गुण की चर्चा करते हैं;यह चर्म रोगों में बहुत उपयोगी है।यदि कभी दाद,खाज,अथवा खुजली हो जाये तो कर्पूर की दो टिकिया को दो चम्मच नीम के अथवा नारियल तेल में डाल दें;थोड़ा गर्म कर लें;थोड़ा ठंडा होने पर त्वचा पर लगा लें।हफ़्ते भर में खुजली ग़ायब ।
यदि कहीं त्वचा जल गयी है तो कर्पूर को नारियल के तेल में मिलायें और जली जगह पर लगाायें।विश्वास कीजिये कि आप की त्वचा पहले जैसी हो जायेगी।समय कुछ ज्यादा लग सकता है। यह सब स्वयं सिद्ध प्रयोग हैं।शेयर करें ग़रीबों और अमीरों दोनों का भला होगा।हमारी संपन्न धरोहर को बल मिलेगा।
इसका एक और उपयोग है कि आपको
जैसा ज़ुकाम हो यदि आप के पास कपूर की टिकिया है को इसे लंबी लंबी
साँस लेकर सूंघ लें।थोड़ी देर में ज़ुकाम छूमंतर हो जायेगा। इनहेलर से भी बढ़िया काम करता है। यदि छींक आ रही हों तो कपूर पीस कर बादाम रोगन या सरसों के तेल में डाल कर गर्म कर लें जब कपूर घुल जाये तो ठंडा होने पर शीशी में भर कर रख लें;जब भी छींक आये तो चार चार बूंद दोनों नथुनों में डाल लें । छींक और ज़ुकाम दोनों बंद।एक बार आज़मा कर देखिये। तो कपूर
की टिकिया जेब में रखा वैद्य है;जिसे समय और परिस्थिति के अनुसार उपयोग में लायें।
——————
राजेश’ललित’
———————–
——————-
।कर्पूर एक।।
।गुण अनेक।
—————————
कपूर अथवा कर्पूर को हम प्राय: आरती में ज्योति जलाने के समय बाती के साथ जलाने के रूप में देखते हैं।हवन के समय अग्नि प्रज्वलित करने के लिये कपूर को सर्वप्रथम जलाया दाता है।हवनसामग्री में भी सुगंध के लिये प्रयोग में लाया जाता है।इसके प्रयोग से प्रदूषण मुक्त वातावरण मिलता है।वायु शुद्ध होती है।ज्योतिष में ग्रहों को अनुकूल करने केलिये भी कपूर का प्रयोग किया जाता है।
कर्पूर अथवा आम भाषा में जिसे कपूर कहते हैं; एक ऐसा पदार्थ है जिसे भारतवर्ष में हर घर में किसी न किसी रूप में प्रयोग में लाया जाता है।किसी घर में यह पूजा,हवन और कहीं यह कपड़ों में कीड़े न लगने के लिये रखा होता है।
इसका उदगम् चीन,ताईवान; वियतनाम और जापान आदि देशों में पाये जाने वाले एक पेड़ की छाल को उबाल कर प्राप्त किया जाता है।इन देशों में यह पेड़ बाग़ों में सौंदर्य बढ़ाने के लिये लगाया जाता है।
आयुर्वेद की बहुत सी दवाईयां में भी प्रयोग होता है।यहाँ तक होम्योपैथी की दवा ‘CAMPHOR’ भी इससे बनाई जाती है।यह हैज़ा रोकने के लिये सबसे उपयुक्त मानी जाती है।और बहुत सी होमियोपैथी की दवाओं के विष का प्रतिरोध भी करती है अर्थात यदि किसी होम्योपैथी की दवा रा दुष्प्रभाव होता है तो वह camphor से दूर किया जा सकता है।दस्त लगने पर खाने वाली कपूर की आधी टिकिया पानी के साथ काली मोटी इलायची;छोटी इलायची:अजवायन और लौंग के साथ उबाल लें। चौथाई पानी रहने पर थोड़ा थोड़ा पिलायें।बस; उलटी रुक जायेंगीं।
कर्पूर के एक और गुण की चर्चा करते हैं;यह चर्म रोगों में बहुत उपयोगी है।यदि कभी दाद,खाज,अथवा खुजली हो जाये तो कर्पूर की दो टिकिया को दो चम्मच नीम के अथवा नारियल तेल में डाल दें;थोड़ा गर्म कर लें;थोड़ा ठंडा होने पर त्वचा पर लगा लें।हफ़्ते भर में खुजली ग़ायब ।
यदि कहीं त्वचा जल गयी है तो कर्पूर और रतनज्योत को नारियल के तेल में मिलायें और जली जगह पर लगाायें।विश्वास कीजिये कि आप की त्वचा पहले जैसी हो जायेगी।समय कुछ ज्यादा लग सकता है। यह सब स्वयं सिद्ध प्रयोग हैं।शेयर करें ग़रीबों और अमीरों दोनों का भला होगा।हमारी संपन्न धरोहर को बल मिलेगा।
इसका एक और उपयोग है कि आपको
जैसा ज़ुकाम हो यदि आप के पास कपूर की टिकिया है को इसे लंबी लंबी
साँस लेकर सूंघ लें।थोड़ी देर में ज़ुकाम छूमंतर हो जायेगा। इनहेलर से भी बढ़िया काम करता है। यदि छींक आ रही हों तो कपूर पीस कर बादाम रोगन या सरसों के तेल में डाल कर गर्म कर लें जब कपूर घुल जाये तो ठंडा होने पर शीशी में भर कर रख लें;जब भी छींक आये तो चार चार बूंद दोनों नथुनों में डाल लें । छींक और ज़ुकाम दोनों बंद।एक बार आज़मा कर देखिये। तो कपूर
की टिकिया जेब में रखा वैद्य है;जिसे समय और परिस्थिति के अनुसार उपयोग में लायें।
——————
राजेश’ललित’
—————-