कर्त्तव्य
कर्त्तव्य
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आज धरा में केवल धर्म की लड़ाई लड़ी जा रही है, लेकिन धर्म का क्या अर्थ है शायद लोग समझ नहीं पा रहे हैं और अपने कर्तव्य से भटक गये है ,ऐसा मुझे लगता है।
धर्म=फर्ज=कर्त्तव्य
यदि ईश्वर ने हमें इस धरती पर मनुष्य के रूप में भेजा है, तो हमारा मनुष्यता का पालन करना कर्त्तव्य है,हम मानव हैं तो मानवता का पालन करना हमारा फर्ज है
ईश्वर एक है और सृष्टि जगत उनके संतान है
इस नाते से हम सब एक परिवार है , सत्य दया प्रेम अहिंसा सत्संग अनुराग, त्याग का पालन करना हमारा धर्म है।
कहने का अभिप्राय यह है कि सम्पूर्ण मानव जाति एक भातृप्रेम का निर्वहन करते हुए
विश्व बंधुत्व भाव से जीवन जीना हमारा धर्म है।