कर्तव्य
जब घिरा हो देश, चारों ओर दुश्मन से,
लिख सकूं कैसे भला श्रंगार गीतों में l
लेखनी मजबूर होकर कह रही मुझसे,
अब समय आया, लिखो अंगार गीतों में l
हो गये हैं देश पर जो भी निछावर,
देश हित में जो हुये, मर कर उजागर l
धन्य हैं वे राष्ट्र रक्षा व्रत लिया था,
आज वे ही अमर हैं गोलियां खाकर l
याद करके हम लिखें उपकार गीतों में,
अब समय आया लिखें अंगार गीतों में l
पाक सीमा लाँघ कर आता यहाँ पर,
छोड़ देते हम सहज ही, दांव खा कर l
मित्र है अपना, पड़ोसी बन रहे वह,
हरकतें एसी, रहे वह दूर जा कर l
प्राण फूकें हम भरें हुँकार गीतों में,
लिख सकूं कैसे भला श्रंगार गीतों में l
जो छिपे हैं, देश में षड्यन्त्र कारी,
देश के दुश्मन, नहीं वे क्रान्तकारी l
देश की तस्वीर ये करते धुधलकी ,
खोज कर उनको, उतारें कर्ज भारी l
स्वर बने रण वेध के, टंकार गीतों में ,
अब समय आया लिखें अंगार गीतों में l
अब न लेगीं सिसकियाँ कश्मीर घाटी,
वीरता के नाम पर है धन्य माटी l
देश रक्षा का हमारा व्रत रहा है,
जिन्दगी धिक्कार यदि यह चैन से काटी l
हम समेटें आज सब संसार गीतों में,
लिख सकूं कैसे भला श्रंगार गीतों में l
लेखनी मजबूर हो कर कह रही मुझसे ,
अब समय आया लिखो अंगार गीतों में l