Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
17 May 2024 · 3 min read

कर्ण कुंती संवाद

सोलह दिन संग्राम के बीते, पर परिणाम कोई न आया था
न पांडव विजयी हुए अबतक, न कौरव वंश जीत पाया था

अंगराज तैयार युद्ध को, जा रहा करने सूर्य नमन
हर दिवस नियम से करता था, वह सूर्य देव पूजन वंदन

इतने में आयी माँ कुंती, चिंता मन में थी बहुत बड़ी
भाई से भाई भिड़े रण में, थी युद्ध घडी वह आन पड़ी

समझेगा शायद कर्ण बात, तो भूल बैर सब जाएगा
छोड़ेगा दुष्ट दुर्योधन को, और पांडव संग हो जाएगा

देखा उसने जब माँ कुंती को, थोड़ा सा चकित हुआ मन में
‘क्या चाहती है माँ कुंती?’, डूब गया कर्ण इस चिंतन में

ज्ञात तो कर्ण को सबकुछ था, कैसे कुंती ने नाकारा था
जन्म बाद बहा नदिया में, कैसे उसको दुत्कारा था

‘माता कुंती?! आज एक सूत पुत्र की कुटिया में कैसे पधारी?
राधे अधिरथ सुत करता नमन, बोलो क्या सेवा करे तुम्हारी?’

‘नहीं पुत्र तुम सूत नहीं! क्षत्रिय कुल के वंश हो!
सूर्य देव के वर से मिले तुम, पाण्डु कुल के अंश हो!

परिणय में बंधने से पहले, एक दिन जिज्ञासा जागी थी
सूर्य देव को स्मरण करा, उनसे मैं तुमको मांगी थी

पर भय से भर गया ह्रदय मेरा ज्यों गोद में तुम्हे उठाया
समझाउंगी कैसे भला सबको, कैसे बिन ब्याह के तुमको पाया?!

हीन चरित्र का भय जागा तो मैंने तुमको छोड़ दिया
पर काल चक्र का खेल चला, नियति ने नया एक मोड़ लिया

तुम आये समक्ष सम्पूर्ण सभा के, और रण कौशल दिखलाया
जिस पुत्र को मैंने खोया था, सहसा वह सामने आया

फिर मित्र बना दुर्योधन ने, तुमको मुझसे दूर किया
तुमको पुनः पाने की आशा थी, उसको भी चकनाचूर किया

दुर्योधन ने फिर चाल चली, कुछ ऐसा खेल रचाया
पूर्ण कुरुवंश के ऊपर, घोर अँधेरा छाया

हे पुत्र! तुम हो वीर बहोत! क्यों उस धूर्त के संग तुम लड़ते हो
यहाँ गलत कौन ये ज्ञात तुम्हे क्यों उसके लिए मारते मरते हो?

पाण्डु सुत लड़े पाण्डु सुतो से, ऐसा मैं न चाहती हूँ!
जीवन ज्यादा बचा नहीं, सबको संग देखना चाहती हूँ

दुर्योधन को छोड़ चलो पुत्र, थामो तुम मेरा हाथ
कुरुवंश का ताज तुम्हारा! जुड़ जाओ पांडवो साथ!’

राधेय बोला, ‘इतने दिन जब मौन रही तो अब क्यों बतलाने आयी हो?
कौशल पे उनके आस नहीं, जो पुत्र बचाने आयी हो?

अपने मान की रक्षा हेतु मौत के आगे छोड़ दिया!
शर्म न आयी अपने सुत को सूत बनने को छोड़ दिया?!

बाल्यावस्था से आजतक मैंने कितना कुछ बर्दाश्त किया
गुरु ने छोड़ा साथ मेरा, समाज ने हर क्षण पक्षपात किया!

तुम कर्त्तव्य न निभा सकी तो सबने ही दुत्कारा
और अब चाहो मैं छोड़ दूँ उसको जिसने मित्र कह मुझे पुकारा?!

राज्य का लालच न मुझको जो मित्र अकेला छोडूंगा
जिसका दिया हुआ सबकुछ, उससे मुख न मोड़ूंगा!

पाप करे या पुण्य करे, अपने संग वह मुझको पायेगा
उसकी रक्षा हेतु ये राधेय,अपनी जान पर दांव लगाएगा!

मुझको रार बस अर्जुन से, उसको रण में मुझे हराना है
उसको पराजित करना है, श्रेष्ठ धनुर्धर बन दिखलाना है

ज्यों ही अर्जुन पराजित हो, उसी क्षण रुक जाऊंगा
सच कहता हूँ माता, फिर शस्त्र मैं नहीं उठाऊंगा

तुमको मुझपे विश्वास न हो, तो वचन सामने लेता हूँ
थे पांच पुत्र रहेंगे पांच, ये आश्वासन तुमको देता हूँ!

आज समर प्रचंड होगा, पूरी ताकत से भिड़ जाऊंगा
या तो अर्जुन वापस आएगा या फिर मैं वापस आऊंगा!’

आज्ञा ली फिर राधेय ने और निकल पड़ा सूर्य वंदन को
माता कुंती ने जाते देखा, अपने खोये उस नंदन को

Language: Hindi
1 Like · 89 Views

You may also like these posts

मुहब्बत करने वालों
मुहब्बत करने वालों
shabina. Naaz
प्रतीकात्मक संदेश
प्रतीकात्मक संदेश
Shyam Sundar Subramanian
क्या गुनाह था कि तुम्हें खोया है हमने
क्या गुनाह था कि तुम्हें खोया है हमने
Diwakar Mahto
लगाओ पता इसमें दोष है किसका
लगाओ पता इसमें दोष है किसका
gurudeenverma198
मेरे दिल की हर धड़कन तेरे ख़ातिर धड़कती है,
मेरे दिल की हर धड़कन तेरे ख़ातिर धड़कती है,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
मैं तुझे खुदा कर दूं।
मैं तुझे खुदा कर दूं।
लक्ष्मी वर्मा प्रतीक्षा
ग़ज़ल-कुछ नहीं आता !
ग़ज़ल-कुछ नहीं आता !
Shyam Vashishtha 'शाहिद'
चाँद की मोहब्बत
चाँद की मोहब्बत
seema sharma
समाज की मोल सोच
समाज की मोल सोच
Rahul Singh
4692.*पूर्णिका*
4692.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
My Bird
My Bird
Bindesh kumar jha
*साँसों ने तड़फना कब छोड़ा*
*साँसों ने तड़फना कब छोड़ा*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
हमने किस्मत से आंखें लड़ाई मगर
हमने किस्मत से आंखें लड़ाई मगर
VINOD CHAUHAN
"आसमान पर छाए बादल ,
Neeraj kumar Soni
जीवन पथ पर चलते जाना
जीवन पथ पर चलते जाना
नूरफातिमा खातून नूरी
वक़्त की फ़ितरत को महफूज़ करें कैसे,
वक़्त की फ़ितरत को महफूज़ करें कैसे,
Dr fauzia Naseem shad
👍👍👍
👍👍👍
*प्रणय*
"जो खुद कमजोर होते हैं"
Ajit Kumar "Karn"
*हमारा छत्तीसगढ़ महान है*
*हमारा छत्तीसगढ़ महान है*
Krishna Manshi
सीप से मोती चाहिए तो
सीप से मोती चाहिए तो
Harminder Kaur
बेटी शिक्षा
बेटी शिक्षा
Dr.Archannaa Mishraa
छोटी- छोटी प्रस्तुतियों को भी लोग पढ़ते नहीं हैं, फिर फेसबूक
छोटी- छोटी प्रस्तुतियों को भी लोग पढ़ते नहीं हैं, फिर फेसबूक
DrLakshman Jha Parimal
"नकल"
Dr. Kishan tandon kranti
लरजते हुए आंसुं
लरजते हुए आंसुं
कार्तिक नितिन शर्मा
*गाड़ी तन की चल रही, तब तक सबको प्यार (कुंडलिया)*
*गाड़ी तन की चल रही, तब तक सबको प्यार (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
थूकोगे यदि देख कर, ऊपर तुम श्रीमान
थूकोगे यदि देख कर, ऊपर तुम श्रीमान
RAMESH SHARMA
ये कैसा घर है ....
ये कैसा घर है ....
sushil sarna
रागी के दोहे
रागी के दोहे
राधेश्याम "रागी"
" अधरों पर मधु बोल "
भगवती प्रसाद व्यास " नीरद "
दोहे _ उलझे उलझे ।
दोहे _ उलझे उलझे ।
Neelofar Khan
Loading...