*ना करो ऐसा ओ कोरोना !! *
*ना करो ऐसा, ओ कोरोना! करो ना!! *
दहशत में बैठी है सब जनता,
कहते-सुनते कुछ नहीं बनता!
दहल रहा जग तेरे डर से,
बार-बार है यही निवेदन!
भीषण संहार अब करो ना!
ना करो ऐसा, ओ कोरोना! करो ना!!
प्राणघात हमला कर तुमने,
चकनाचूर किये सब सपने!
जीवन बना झील का पानी,
हल-चल अंदर वही पुरानी!
रस में विष तुम घोलो ना!
ना करो ऐसा, ओ कोरोना! करो ना!!
बिलख रहे सब रिश्ते-नाते,
सुना है परिजन देख न पाते!
उजड़ रहा किसी का जीवन,
किसी का सिन्दूर और बिंदिया!
हँसती-खेलती दुनिया में ‘मयंक’,
यूँ ही अवसाद अब भरो ना!
ना करो ऐसा,ओ कोरोना! करो ना!!
✍ के.आर. परमाल ‘मयंक’