करो न उल्लंघन
25.4.2020
खेमकिरण सैनी
एक से अनेक को फैलती है बीमारी
इसलिए वायरस का संक्रमण रोकना ज़रूरी है
साम, दाम, दंड, भेद से यह समझाना
पुलिसकर्मियों की बनी मज़बूरी है।
एक अलग ही तरह का विश्वयुद्ध छिड़ा है
अदृश्य रहकर भी दुश्मन है ताकतवर
जंग लड़ रहे कोरोना के खिलाफ़ कुछ योद्धा
अपनी जान जोखिम में डालकर।
नियमों की अवमानना कर नासमझी दिखलाते हैं
सैर सपाटे को बाहर निकलते, मुँह को नहीं ढाँपते हैं।
सामाजिक दूरी की धज्जियाँ उड़ाकर
अनावश्यक भीड़ जुटाते हैं।
स्वास्थ्य कर्मियों पर प्रहार करके
दादागिरी दिखलाते हैं
मंदबुद्धि दुस्साहसी कृत्यों से
वर्दीवालों को उकसाते हैं।
ज़िद्दी और रईस शहज़ादे शहजादियाँ
अकारण सड़कों पर गाड़ियां निकालते हैं
पूछताछ जब पुलिस करे तो
रसूक दिखा धमकाते हैI
ऐसी लापरवाही और गैर-ज़िम्मेदारी से
दुश्मन वायरस का साहस बढ़ता है।
वैश्विक बीमारी के संक्रमण का आँकड़ा
बड़ी तेजी से फिर बढ़ता है।
पुलिस हमारी रक्षक है
हम सबका हित ही चाहती है
प्यार से बात नहीं बनती जब
तब लाठी भी चला देती है।
प्राकृतिक आपदाओं के आघात से
जीवन सामान्य नहीं रहता है।
आपदा प्रबंधन की मुहिम में
जनता का सहयोग तो बनता है!
विवेक से काम लो देशवासियो!
चयन तुम्हें खुद करना है।
अकाल मृत्यु को आमंत्रित करना
या घर में ही सुरक्षित रहना है!
घर तब तक न छोड़ो अपना
जब तक अनिवार्य न हो जाए
न करो उल्लंघन सरकारी अध्यादेश का
जब तक तालाबंदी न खुल जाए।
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