करोना का खौफ
सुनी जो उनके आने की आहट हमने ,
अपना होशो-ओ-हवास गंवाया हमने।
पहले सजग थे साफ सफाई को लेकर ,
अब नया वहम का रोग लगाया हमने।
अपनों के करीब आए ज़माना हो गया ,
दूर से ही सलाम को चलन बनाया हमने ।
अपने ही घर जबसे नज़रबंद हम हो गए ,
देखिये! खुद को ही कैदी बनाया हमने ।
अपना पालतू सर्दी-जुकाम भी दुश्मन लगे ,
कोरोना-ऐ-खौफ ज़हन में जबसे बसाया हमने।
अब तो ये आलम है हर शय वायरस ही दिखे ,
ऐसी दीवानगी में ये क्या हाल बनाया हमने !